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छाए बादल

छाए बादल
वर्षा होगी छाए बादल,  
आओ, नाचें-गाएँ।
झूला झूलें आम-डाल पर,
नभ तक पेंग बढ़ाएँ।।

प्यासी धरती हर्षित होकर,
विनय करे कर जोड़े।
जीव-जंतु आहत-मन कहते,
रवि बरसाए कोड़े।
ताल-तलैया,पोखर-सरिता,
निरख मेघ हरषाएँ।।
      आओ, नाचें-गाएँ।।

धरती-लाल किसान मेघ लख,
करें खेत-तैयारी।
हल-बैलों से खेत जोत कर,
देंगे फसलें भारी।
बरसे पानी इस आशा से,
तरुवर भी मुस्काएँ।।
      आओ, नाचें-गाएँ।।

बादल बरसे,बिजली तड़के,
मौसम बने सुहाना।
नदी बहे इठला-इठला जब,
कवि-गण गाएँ गाना।।
ब्च्चे-बूढ़े,युवक-युवतियाँ,
ढोल-मृदंग बजाएँ।।
      आओ, नाचें-गाएँ।।

सावन-भादों की जल-वर्षा,
करते बादल काले।
हरियाली का दे आभूषण,
रहते सदा निराले।
अन्न-फूल-फल पा जग वाले,
फसलों सँग लहराएँ।।
      आओ, नाचें-गाएँ।।
                 ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                  9919446372

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2 Comments

Arti khamborkar

21-Sep-2024 09:19 AM

beautiful

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madhura

14-Aug-2024 07:42 PM

V nice

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